ऋषिकेश , 01 जून।विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के सह प्रदेश निरीक्षक विनोद रावत ने कहा कि स्कूलों में दी जाने वाली किसी भी भाषा में शिक्षा में जब तक छात्र दक्ष नहीं हो सकता, जब तक उसे उसके संस्कारों के अनुरूप शिक्षा नहीं दी जाएगी।
यह विचार विनोद रावत ने आवास विकास कॉलोनी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित आचार्य दक्षता शिविर के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त करते हुए कहा कि सभी भाषाओं को समझने के लिए 4 सोपान होते हैं, जिसमें सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना मुख्य है, जिसके लिए सर्वप्रथम शिशु को अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक घर में बोले जाने वाली आम भाषा के अनुरूप छात्रों को शिक्षा नहीं दी जाएगी जब तक व उसमे दक्ष नहीं हो सकता। शिविर में शैक्षणिक,शारीरिक योग, व विभिन्न प्रकार के प्रयोगात्मक गतिविधियां भी सिखाई जा रही है।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ अनिल शर्मा प्रवक्ता हिंदी शिशु शिक्षा समिति उत्तराखंड ने मां शारदा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया ,वंदना सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा पर प्रकाश डालते हुए प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन किया, इस प्रकार के प्रशिक्षण से हमें नई तकनीकी उनकी जानकारी प्राप्त होती है। द्वितीय सत्र में भी हमें आपका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ हिंदी शिक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा किहिंदी हमारी मातृभाषा है जिसे शिक्षण के सोपान के अंतर्गत अपनी भाषा को सुनना बोलना पढ़ना लिखने के साथ शिशु को अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना चाहिए या सीखना चाहिए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति कहती है, उन्हें जीव-जंतुओं से भी सीख मिलती है।
इस अवसर पर सह प्रदेश निरीक्षक विनोद रावत एवं सभी प्रशिक्षित उपस्थित थे। उमाकांत पंत प्रधानाचार्य विद्या मंदिर आवास विकास ऋषिकेश व सहवर्ग प्रमुख गुरुप्रसाद उनियाल प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु विद्या मंदिर आदर्श नगर ऋषिकेश के संचालन में भगवती प्रसाद चमोला, मुरलीधर चंदोला , राकेश बहुगुणा , गीताराम पैन्यूली संभाग निरीक्षक, जिला प्रमुख के सानिध्द में प्रशिक्षण में मुख्य वक्ता केरुप में विचार व्यक्त किए।शिविर में पुरोषोत्तम बिजल्वाण सेवा प्रमुख विद्या भारती, अन्तराम पेटवाल , पिचपन मिश्रवाण , निर्मल केमनी , मनोहर खत्री , सुरेंद्र नेगी , जयप्रकाश आदि भी उपस्थित थे.