संघर्ष समिति के संयोजक हिमांशु रावत ने रैली का शुभारंभ करने से पूर्व उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि इस रैली के माध्यम से सरकार को हम बड़ा संदेश देना चाहते हैं कि राज्य बनने के बाद बड़े स्तर पर भू माफियाओं द्वारा जमीनों की खरीद फरोक्त की जा रही है, जो जमीनें खरीदी जा रही है। उस पर वह उद्योग नहीं लग रहे हैं। हमारी मांग है कि जिस उद्देश्य को लेकर सरकार द्वारा जमीन दी जा रही है उस पर वही उद्योग लगने चाहिये। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में जो जमीनों को लेकर कानून बनाए गए हैं ,वैसे ही कानून यहां भी बनाने चाहिए उन्होंने आरोप लगाया कि आज प्रदेश में अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। देवभूमि को अपराधियों का अड्डा बना दिया गया है जो की चिंता का विषय बन गया है। उत्तराखंड अवैध कारोबार का अड्डा बन गया है लेकिन अधिकारी मौन है। उनका कहना था कि मूलनिवास की राज्य में कट ऑफ डेट 1950 होनी चाहिए, सरकारी नौकरियों मे और अन्य सरकारी संस्थानों मे स्थानीय नागरिकों की 90% की भागीदारी होनी चाहिए , सरकार की ठोस नीति ना होने के कारण यहां की डेमोग्राफि भी तेजी के साथ बदल रही है । रावत का कहना था कि उत्तराखंड की स्थितिअन्य प्रदेशों की स्थिति से पूरी तरह से अलग है जिसके कारण आर्थिक संसाधनों पर भी चोट हो रही है। कुछ लोग उनके आंदोलन को तोड़ने के लिए अफवाहें उड़ा रहे हैं उनकी यह रैली ऐतिहासिक होगी।
इस अवसर पर मोहित डिमरी, प्रांजलनोडियाल, उषा डोभाल, एन आर रतूड़ी, मोहन सिंह रावत, शशि रावत, संजय सिलस्वाल, सुरेंद्र सिंह नेगी भी उपस्थित थे।