उल्लेखनीय कि चुनाव के दौरान रमता पंच व श्री पंचो का चुनाव मढ़ियों की खालसा द्बारा किया जाएगा ।जिसमें केवल जमातिया महंत ही अपना बोट देगें, जिससे श्री महंतो को चुना जाएगा। जिसमें किसी भी भूतपूर्व व वर्तमान पदाधिकारी को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा। यह प्राचीन समय से चुनाव की प्रक्रिया चली आ रही है, जिसके लिए आजकल कथित श्री महंतो द्वारा कुछ संतो को पदाधिकारी बनाए जाने के लिए गुमराह किया रहा है।
यह जानकारी आवहान अखाड़े के श्रीमहंत गोपाल गिरी ने देते हुए बताया कि अखाड़े में 24 गद्दी होती है। जिसके अंतर्गत चार संप्रदाय आते हैं, जिसमें आनंदवार,भूरवार, भोग वार किटवार , मुख्य है। जिसमें आनंदवार से गिरी पर्वत और सागर, भूरवार से पूरी ,भारतीय ,सरस्वती, किटवार से वन ओर आरण्य, भोगवार से तीर्थ और आश्रम, इस प्रकार यह दशनामी कहलाता है, इसके अतिरिक्त 42 और मढियों के संत होते हैं। कुल मिलाकर52 मढियां से अखाड़ा सम्मिलित होता है। यह परंपरा विक्रम संवत 603, सन् 547ईसवीं से चली आ रही है।
श्री महंत गोपाल गिरी ने बताया कि यह चुनाव रमता पंच का तीन वर्ष के लिए होता है, तथा श्री पंच का 6 वर्ष के लिए किया जाता है। यह चुनाव अगले 6 वर्ष बाद होने वाले प्रयाग कुंभ तक के लिए मान्य होता है। इसके बाद उज्जैन कुंभ के लिए रमता पंच के नए चार श्री महंतो को चुना जाएगा। जिसे लेकर अखाड़ों में हलचल प्रारंभ हो गई है।