ऋषिकेश , 22 अप्रैल । विक्रम सिंह। अक्षय तृतीया के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर भरत मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित भगवान हृषिकेश (विष्णु ) की 108 परिक्रमा कर श्रद्धालुओं ने परिजनों में खुशहाली की कामना की।
शनिवार को मंदिर की परिक्रमा की जाने के लिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद प्रातः 4:00 बजे से ही श्रद्धालु मंदिर में पहुंचने प्रारंभ हो गए थे, बताया जाता है कि भारत मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति को आदि गुरु शंकराचार्य अपनी यात्रा के दौरान विधर्मी आततायियों द्वारा भारत के मंदिरों पर हमला कर क्षतिग्रस्त किए जाने के अभियान के दौरान इस मूर्ति को हटाकर मंदिर से कुछ ही दूरी पर मायाकुंड क्षेत्र स्थित गंगा में प्रवाहित कर दिए जाने के बाद अक्षय तृतीया के अवसर पर पुनर्स्थापित किया था।
तभी से मान्यता है कि अक्षय तृतीया को मन्दिर की 108 परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को वही फल प्राप्त होता है जो कि भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने के उपरांत मिलता है इसी परंपरा के चलते आज भी श्रद्धालु इस मंदिर की परिक्रमा करते आ रहे हैं।
उत्तराखंड में प्रसिद्ध चारधाम, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के दर्शनों का प्राचीन काल से महत्व रहा है। मगर, देवभूमि में कई मंदिर ऐसे भी हैं, जिनके दर्शन, इन तीर्थों के दर्शन से कम नहीं हैं।
पौराणिक धर्मग्रंथों के उल्लेख तथा विद्वानों की मान्यता बताती है। कि हृषिकेश नारायण श्री भरत मंदिर सतयुग में स्थापित मंदिर है। स्कंद पुराण, केदारखंड, वामनपुराण, नरसिंह पुराण, श्रीमद् भागवत गीता तथा महाभारत आदि ग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख है। भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम स्तोत्र में हृषिकेश नारायण श्री भरत भगवान का वर्णन कुछ इस तरह है। ‘अप्रमेयो हृषिकेशः पदमानाभम सुरेश्वरः ।
शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि आद्य गुरु शंकराचार्य ने बदरीकाश्रम जाते समय श्री भरत मंदिर में भगवान नारायण की मूर्ति को पुनर्स्थापित किया था।
इस दौरान मंदिर के महंत वत्सल शर्मा, वरुण शर्मा, हर्षवर्धन शर्मा ने सर्वप्रथम भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की। जिसके पश्चात श्रद्धालुओं ने मंदिर की 108 परिक्रमा करते हुए भगवान विष्णु की माला का जाप भी किया।