ऋषिकेश, 11 जून । राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया ने कहा कि कथायें हमारे जीवन को बदलने का कार्य करती हैं, सिंधिया यहां परमार्थ निकेतन पहुंची हैं जहां उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद लिया। और राजस्थान की भूमि से लाया पौधा स्वामी महाराज को भेंट किया। स्वामी ने उन्हें तुलसी का दिव्य पौधा भेंट करते हुये कहा कि राजस्थान की भूमि में पौधारोपण की अत्यंत आवश्यकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि राजस्थान की धरती शौर्य और शूरता की धरती है। जहां महाराणा प्रताप ने घास की रोटियाँ खाकर राष्ट्र के लिये अपने आप को समर्पित कर दिया। जो कि शौर्य के प्रतीक है, परन्तु उनका चेतक भी अद्भुत था। राजस्थान की धरती से ही मीरा बाई जो महलों में पली फिर भी अपने श्याम के चरणों में सब कुछ समर्पित करते हुये संदेश दिया कि जीवन महलों में नहीं है, बल्कि समाज सेवा के लिये है।
स्वामी ने कहा कि राजस्थान का अधिकांश भाग मरुस्थल है, जहाँ जल नाममात्र के लिये भी नहीं है। जिसके कारण हमारे राजस्थान वासियों को जल संकट का सामना करना पड़ता है। वर्षा के न होने पर तो वहाँ भीषण संकट उत्पन्न हो जाता है जिससे जीवन लगभग दूभर हो जाता है इसलिये हम सभी को मिलकर वर्षा को आकर्षित करने वाले पौधों का रोपण करना होगा; वृक्षों की जो अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है जिससे न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे विश्व में जलसंकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है।
स्वामी ने कहा कि अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण राजस्थान सदैव ही जलाभाव से पीड़ित रहा है ,किन्तु मानवीय गतिविधियों ने इस संकट को और अधिक भयावह बना दिया है। अब समय आ गया है ,कि अब हम वर्षा का जल अधिक-से-अधिक बचाने की कोशिश करें, क्योंकि जल का कोई विकल्प नहीं है, जल की एक-एक बूँद अमृत है, इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। अगर अभी जल नहीं सहेजा गया तो आगे चलकर स्थिति और भयावह हो सकती है।
स्वामी ने कहा कि वर्तमान समय में वर्षाजल संग्रहण के कई तरीके उपलब्ध हैं। कम ढलान वाले इलाकों में परंपरागत तालाबों को बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित करके नए तालाब भी बनाये जा सकते है। तालाब जल की कमी के समय जल उपलब्ध करवाने के अलावा भूजल भरण में भी उपयोगी सिद्ध होंगे।
राजस्थान की 24वीं मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज का पूरा – पूरा आशीर्वाद बना रहता है, मुझे हमेशा से ही झोली भरकर आशीर्वाद मिलता है। संतों के सान्निध्य और आशीर्वाद से हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल जाता है। कथायें हमारे जीवन को बदलने का कार्य करती हैं। मुझे मुरलीधर महाराज की मानस कथा में 3 बार सहभाग करने का पावन अवसर प्राप्त हुआ।
उन्हें परमार्थ निकेतन आने का अवसर प्रभु ने प्रदान किया है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने हाथों में पर्यावरण और जल संरक्षण का बीड़ा उठाया हैं उसके लिये हम सभी को सहयोग करने की जरूरत है। महाराज के अनुसार हम विकास तो करें, परन्तु पर्यावरण को ध्यान में रखकर करें। स्वामी ने विकास, पर्यावरण और संस्कृति को एक साथ जोड़ा है जो अद्भुत है। अवैज्ञानिक रूप से हो रहे विकास के कारण वृक्षों को काटा जा रहा है उस पर भी उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया। नदियों
को जोड़ने की योजना, जल के लिये स्वावलंबन योजना आदि का उल्लेख मानस कथा के मंच से किया। उन्होंने कहा कि हमारी आस्था और प्रेरणाओं के साथ मानव कल्याण का कार्य भी जोड़ ले तो बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। सियासत के साथ धर्म को जोड़ने से बहुत कुछ बदल सकता है। मानस कथा से प्रभु श्री राम के गुणों को अपने साथ लेकर जाये, श्री राम को अपने हृदय में बसाये। हमें यह भी ध्यान रखना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से श्रीराम मन्दिर का निर्माण हो रहा हैं वहां हम सब जा कर दर्शन करेंगे। मासिक मानस कथा हेतु उन्होंने कथाकार मुरलीधर महाराज और कथा श्रवण कर रहे राजस्थान वासियों का आभार व्यक्त किया।