गुरुवार को कृष्ण पक्ष की वट अमावस्या के दौरान प्रातः काल से ही सुहागिन महिलाओं ने बड़ी संख्या में त्रिवेणी घाट पर गंगा स्नान कर वटवृक्ष की पूजा अर्चना करने के लिए जुटी थीं। जहां उन्होंने पहले वट वृक्ष की श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हुए कथा का श्रवण किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वटवृक्ष की पूजा करने के पीछे की मान्यताएं हैं, कि जब सावित्री के पति सत्यवान के प्राण यमराज ने हर लिए थे , तो सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण लौटाने के लिए प्रार्थना की थी, तब यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटा कर पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया था, और यमराज ने बरगद की जड़ों में सत्यवान के प्राणों को जकड़ कर रखा हुआ था, तभी से मान्यता है कि कृष्ण पक्ष की अमावस्या को जो महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करती है, उनके पति की दीर्घायु होती है, इस दिन महिलाएं व्रत रखकर घरों में पकवान बनाकर उसका भी भोग यमराज के लिए लगाती है।