ऋषिकेश,17अगस्त । भारी वर्षा के कारण जनपद टिहरी और पौड़ी को जोड़ने के साथ देश विदेश सेआने वाले करोड़ों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने मुनि की रेती स्थित राम झूला पुल के नीचे का पुस्ता बह जाने के कारण पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है।
बताया जा रहा है, कि गंगा के उफान पर आने की वजह से इस पुस्ते को नुकसान हुआ है। सुरक्षा की दृष्टि से एसडीएम के निर्देश पर राम झूला पुल पर पर्यटकों के आवाजाही रोक दी गई है। पुलिस ने बैरिकेडिंग कर पर्यटकों को राम झूला पुल पर जाने से रोकना शुरू कर दिया है।
नरेंद्र नगर के एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा प्रशासन की पहली प्राथमिकता है। भारी बारिश की वजह से राम झूला पुल के नीचे का पुश्ता बह गया है। पीडब्ल्यूडीकी एक टीम निरीक्षण करने के लिए रामझूला भेजी गई है। इंजीनियरों की टीम निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट सौंपेगी उसके आधार पर राम झूला पुल पर आवाजाही को लेकर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल उच्च अधिकारियों को भी मामले की जानकारी दे दी गई है। पुलिस को पर्यटकों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसएसआई गोपाल दत्त भट्ट ने बताया कि निर्देशों के आधार पर राम झूला पुल पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है। पुलिस कर्मियों की तैनाती भी की गई है। जिससे कि पर्यटक राम झूला पुल पर आवाजाही ना कर सके। लक्ष्मण झूला थाना पुलिस को भी इस संबंध में सूचना दे दी गई है। बता दें की रामझूला पुल पर आवाजाही रोके जाने से पर्यटकों में अब मायूसी देखने को मिल रही है। वहीं जानकी झूला पुल पर पर्यटकों की आवाजाही अब और ज्यादा तेज हो गई है।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद कम संख्या लोगों को पैदल रामझूला से भेजे जा रहा है,लेकिन दुपहिया वाहनों के लिए आवाजाही रोक दी गई है,दुपहिया वाहन जानकी सेतु से आवाजाही कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का था सबसे लंबा झूला पुल
रामझूला पुल का निर्माण 07 मार्च 1985 से आरंभ हुआ था जो 05 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया। तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में 1.02 करोड़ की लागत से बना यह पुल उस समय राज्य का सबसे लंबा झूला पुल था। पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग की ओर से कराया गया था। इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में रामझूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है। इस पुल की परिकल्पना रुड़की विश्वविद्यालय के भूकंप यांत्रिकी विभाग की ओर से की गई थी। इस पुल पर भार वाहन क्षमता 500 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर है।